ई-टिकटिंग गिरोह : सॉफ्टवेयर सरगना ने पहला लिंक खरीदने में ठगाए थे 10 हजार, खुद डेवलप कर लाखों कमाए

विदेशों तक जुड़े ट्रेन के ई-टिकटिंग गिरोह को आईआरसीटीसी के ऑनलाइन टिकट बुकिंग सिस्टम में सेंध लगा कर सॉफ्टवेयर बनाकर देने वाला सॉफ्टवेयर सरगना पाली का दिनेश पहले खुद 10 हजार रुपए से ठगा गया था। उसने एक सॉफ्टवेयर का लिंक लेने के लिए पैसे दिए थे, लेकिन वह मिला नहीं था। इसके बाद वह पारंगत हो गया और सॉफ्टवेयर व टिकटों की कालाबाजारी से इतना पैसा कमाया कि मोटरसाइकिल, स्विफ्ट कार, अहमदाबाद के कृष्णा नगर में मकान, शेयर मार्केट में 20 लाख का निवेश व पाली में एक कम्प्यूटर एवं एसेसरीज की दुकान खोल ली। फिलहाल आरपीएफ ने दिनेश, उसके भाई विकास जांगिड़ व सहयोगी पुणे के बाबूलाल चौधरी को गिरफ्तार किया है। चार अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।


आरपीएफ ने किया था खुलासा


आरपीएफ ने देशभर में फैले ई-टिकटिंग गिरोह के 27 लोगों को पकड़कर इस गिरोह का खुलासा किया था। बाद में एक मोबाइल नंबर के आधार पर 6 फरवरी को दिनेश को गिरफ्तार किया। पांच दिन की रिमांड में दिनेश ने बीते छह साल में लाखों रुपए कमाने, देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों काे सॉफ्टवेयर बेचने और अब तक 53 लाख के टिकट बुक करने की जानकारी दी है। सॉफ्टवेयर के इस गोरखधंधे में आईआरसीटीसी का एक पूर्व कर्मचारी अजय गर्ग भी लिप्त था। वर्ष 2018 में शमशेर नियो सॉफ्टवेयर लेकर दिनेश के संपर्क में आया था।


आरपीएफ की इस टीम को मिली सफलता
सीआईबी जोधपुर उनि सुरेन्द्र कुमार और कांस्टेबल ललित कुमार ने मुख्य आरोपी की लोकेशन का सत्यापन किया। जयपुर मुख्यालय की टीम में निरीक्षक नानूराम, निरीक्षक राजकुमार, निरीक्षक अम्बुज, हेका हेमकरण, हेका भैरू ने जांच में मुख्य भूमिका निभाई।


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